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मेरे कॉलेज की लड़की है
शायद मुझपे मरती है
मुझको भी प्यार है उससे शायद
पर क्या मैं हूँ उसके लायक
हूँ इसी संदेह के घेरे में
क्या कोई खूबी है मेरे में
पर खूबी से मतलब ही क्या
प्यार तो कमियों से भी होता है
उसको प्यार मेरी कमियों से हो
ऐसी तो उसमें कमी नहीं……….
आखिर वो लड़की ही क्यूँ
मेरे मन को भाती है
शायद मुझसे ही मिलने
सबसे पहले आ जाती है
आँखों से मिलती रहती है
बातों से ही कभी-कभी
हर पल ऐसा लगता है
ज्यों मिलके गई हो अभी-अभी………
जब शिक्षक कोई आकर मुझको
गुस्से में डाट लगाता है
चेहरा उसका उतर जाता
मानो दिल जल जाता है
जब करे प्रशंसा कोई मेरी
तो वो खुश हो जाती है
पहले मन में मुस्काती है
फिर हँसी रोक न पाती है
दिल की खुशियाँ होंठों पर आ
झूम-झूम मुस्काती है………..
वैसे तो वो है ही सुन्दर
गुस्से में सौंदर्य-समंदर
उस पर जब मुस्काती है
लाखों क़त्ल कर जाती है
लड़के सब उसके दीवाने
कहते किस्से अपने मनमाने
लेकिन अनुभव से कहता हूँ
मैं ही दिल में उसके रहता हूँ
लेकिन न जाने क्यों उससे
ये सब कहने से डरता हूँ ………..
गर आँखे नम हैं मेरी तो
उसकी भी आँखें हैं खारी
जितनी हलचल में दिल में
उसके दिल में उससे भारी
जाने कब अपने लब से बोलेगी
कब राज दिलों का खोलेगी……….
गलती तो मेरी भी है इसमें
पर है अपराधी वो भी
न मैं उससे कह पाता हूँ
न मुझसे वो ही……………
इसलिए अधूरा है अब तक
प्रेम का किस्सा मेरा
जाने कब आएगा मेरे
शांति वन में वसंत सवेरा
अब मैं केवल करूँ प्रतीक्षा
कभी तो दिल पिघेला तेरा
तेरे दिल का भी कोई दोष नहीं
दुनियांदारी का है पहरा
सब कुछ पीछे ही रह जाए
कभी तो आये वो वक्त सुनहरा……….
बहुत सुनी परिभाषा मैंने
प्रेम, मोहब्बत और कहानी,
दृश्य अचम्भा देखा मैंने
आँखें हँसत भरकर पानी
दुनियां भर की प्रेम-कथाएँ
जग-भर को है याद जुबानी………
कितनी भी कमी भरी हो
फिर भी कोई भा सकता है
सारे जग की पीड़ा लेकर
एक अकेला गा सकता है
प्यार अगर हो सच्चा तो
कोई जहर भी खा सकता है
प्यार भले हो संध्या से
पर उगता सूरज पा सकता है.
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