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इस मंच के सभी आदरणीय लेखकों कविओं और विचारकों को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनायें. माँ से लेकर आज तक जितने भी लोगों से ज्ञान मिला सबका हार्दिक धन्यवाद, जिसमें आप लोग भी शामिल हैं क्योंकि आप लोगों से भी बहुत कुछ सीखने को मिला. कितना अच्छा होता है यदि आज “गुरु-दिवस” होता ? खैर लार्ड-मैकाले के पहले भारत में जिस तरह के गुरु हुआ करते थे, उनकी तरह अब भी हैं, परन्तु बहुत कम हैं, उन्ही गुरुओं के चरणों में समर्पित कुछ पंक्तियाँ-
किस्मत मुँह मोड़ ले, दुनियाँ भी छोड़ दे,
अंतर्मन दामन पर ज़ख्म कोई जोड़ दे,
जीवन के युद्धों को मन से मत हारना,
जिसने साथ छोड़ा है, उसको लौट आना है,
गुरुवर का मतलब ही जिंदगी बनाना है.
दीपों की माला हो, शब्दों की हाला हो,
गुरुवर के हाथों में विज्ञता का प्याला हो,
पीने की प्यास में पीकर मतवाला हो,
गुरुवर की महिमा को सबके संग गाना है,
गुरुवर का मतलब ही जिंदगी बनाना है.
गुरुवर से ज्ञान मिले, ज्ञान से सम्मान मिले,
हिन्दी अंग्रेजी मिले, गणित और विज्ञान मिले,
कोई आर्य भट्ट बने, अंकों के फूल खिले,
धरती से सूरज की दूरी समझाना है,
गुरुवर का मतलब ही जिंदगी बनाना है.
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